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WOOD YOU RATHER BE HAPPY?
24 फरवरी - 20 अपà¥à¤°à¥ˆà¤² 2023
अलà¥à¤¸à¥‡à¤°à¥à¤•à¤² à¤à¤µà¥‡à¤¨à¥à¤¯à¥‚, दà¥à¤¬à¤ˆ
अमाल रकीबी गैलरी और फिरेतà¥à¤¤à¤¿ कंटेमà¥à¤ªà¤°à¥‡à¤°à¥€ को “WOOD you rather be happy” पेश करते हà¥à¤ उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ हैं, छह अंतरराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ कलाकारों, तोमा-à¤à¤², ताहेर जौई, सवà¥à¤¸à¤¨ अल बहार, लौरा लपà¥à¤ªà¥€, à¤à¤•à¥à¤¸à¤² चे और बà¥à¤°à¥‚नो हेलगेन के काम की à¤à¤• सामूहिक पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨à¥€, जो लकड़ी को अपने पà¥à¤°à¤¾à¤¥à¤®à¤¿à¤• माधà¥à¤¯à¤® के रूप में उपयोग करते हैं।
अमेरिकी दारà¥à¤¶à¤¨à¤¿à¤• और पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤µà¤¾à¤¦à¥€ हेनरी डेविड थोरो से पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ लेते हà¥à¤, पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨à¥€ पारलौकिकवाद के सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚तों की पड़ताल करती है। यह दारà¥à¤¶à¤¨à¤¿à¤• आंदोलन पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की अचà¥à¤›à¤¾à¤ˆ और वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की उससे जà¥à¤¡à¤¼à¤¨à¥‡ की कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ पर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ डालता है। थोरो का मानना ​​था कि मानव के सà¥à¤– और कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ में पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ à¤à¤• महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ कारक थी और वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त विकास और आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• पूरà¥à¤¤à¤¿ के लिठसà¥à¤µà¤¯à¤‚ को पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ में डà¥à¤¬à¥‹ देना आवशà¥à¤¯à¤• था। पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨à¥€ देखने वालों को कला से à¤à¤°à¥‡ à¤à¤• इनडोर जंगल में à¤à¤• विशाल अनà¥à¤à¤µ शà¥à¤°à¥‚ करने के लिठआमंतà¥à¤°à¤¿à¤¤ करती है।
पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ानों, चितà¥à¤°à¥‹à¤‚ और मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ सहित विविध कलाकृतियाà¤, पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ की सà¥à¤‚दरता और नाजà¥à¤•à¤¤à¤¾ को पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¿à¤¤ करती हैं, जो पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के साथ हमारे संबंधों में बदलाव का आहà¥à¤µà¤¾à¤¨ करती हैं। लकड़ी का उपयोग, पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• और सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• महतà¥à¤µ दोनों के साथ à¤à¤• सामगà¥à¤°à¥€, कलाकार à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ की पीढ़ियों के लिठहमारे गà¥à¤°à¤¹ की रकà¥à¤·à¤¾ और संरकà¥à¤·à¤£ के लिठसà¥à¤¥à¤¿à¤°à¤¤à¤¾ और सामूहिक जागरूकता की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ पर जोर देते हैं। ये कलाकार उजागर करते हैं कि हम सà¤à¥€ à¤à¤• विशाल पृथà¥à¤µà¥€ का हिसà¥à¤¸à¤¾ हैं, अनà¥à¤¯à¥‹à¤¨à¥à¤¯à¤¾à¤¶à¥à¤°à¤¿à¤¤ और परसà¥à¤ªà¤° जà¥à¤¡à¤¼à¥‡ हà¥à¤ हैं, और पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की à¤à¤²à¤¾à¤ˆ के बिना वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ नहीं हो सकता। यह न केवल à¤à¤• नैतिक अनिवारà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है बलà¥à¤•à¤¿ सà¤à¥€ के लिठà¤à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¯à¥€ à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ के लिठà¤à¥€ à¤à¤• शरà¥à¤¤ है।
जैसा कि पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨à¥€ में हम जंगल में सैर करने के लिठआमंतà¥à¤°à¤¿à¤¤ करती है, हमें थोरो के शबà¥à¤¦ याद आते हैं, "में जंगल में टहलने गठऔर पेड़ों की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ में जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ समà¤à¤¦à¤¾à¤° हो गये" à¤à¤• खà¥à¤¶à¤¹à¤¾à¤², अधिक सारà¥à¤¥à¤• और टिकाऊ जीवन जीने के लिठपà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ से जà¥à¤¡à¤¼à¤¾ होना और हमारे गà¥à¤°à¤¹ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ दयालॠहोना आवशà¥à¤¯à¤• है।