Toma-L
लकड़ी कारà¥à¤Ÿà¥‡à¤² पीला 1
2014
लकड़ी पर मिशà¥à¤°à¤¿à¤¤ मीडिया
70 x 105 सेमी
चूंकि सà¤à¥€ चीजें हो चà¥à¤•à¥€ हैं, उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पूरà¥à¤µà¤µà¤¤ à¤à¥€ किया जा सकता है... लेकिन शरà¥à¤¤à¥‡à¤‚ हैं। अनेक.
जितना अधिक हम बड़े होते हैं, उतना ही अधिक हम सोचते हैं कि हम वयसà¥à¤• हैं। वयसà¥à¤• होने के बाद, हम खà¥à¤¦ को खूबसूरत चीजों से अलग करने के लिठसंघरà¥à¤· करते हैं। हम सारा जीवन, सारी à¤à¤¾à¤·à¤¾, यहाठतक कि सृषà¥à¤Ÿà¤¿ à¤à¥€ चूस लेते हैं। हम अपने आप को छोटे चिपचिपे घोंसलों में फà¤à¤¸à¤¾ लेते हैं। हमारा दिमाग बहà¥à¤¤ जलà¥à¤¦à¥€ बà¥à¤¨à¥‡ कैनवस में उलठजाता है.
उन रसà¥à¤¸à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को हटा दें जो हमें अपने सामान से बांधते हैं, दैनिक चिड़चिड़ाहट से पà¥à¤¯à¤¾à¤° करना सीखते हैं, चेहरे की टिक से पà¥à¤¯à¤¾à¤° करना सीखते हैं जो तेवर बन जाते हैं और जो à¤à¤• विशाल जानवर की पीठपर रहने वाले टिक की तरह आप पर रहते हैं। शायद बड़े होने का यही मतलब है?
इन परजीवियों से पà¥à¤¯à¤¾à¤° करो। जंजीरों के साथ जीते हैं, हमारे कानों में बजने वाली चांदी। और अंत में विनाश के à¤à¥€à¤¤à¤° वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¥à¤²à¤¤à¤¾ पाते हैं.
Théophile Pillault & Toma-L — 2014
कलाकार दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अनà¥à¤¯ कारà¥à¤¯